ए माई!
साचो आइल बाड़ू का हो!
देखनी हँ लोग बाग के
घर दुआर धोवत रहल
ए माई!
तोहरा लगे त साँचो सक्ति बा
दस गो हथवा लेहले सिंघवा पर सवार बाड़ू
दसो में बरियारे औजार लेले बाड़ू
सिंघवा अलगे चीरता फाड़ता
ए माई!
हम का करीं हो?
तोहार हथियार दस गो
आ महिसासुरवा एगुड़े
हमार त दुइएगो हाथ बा
आ महिसासुरवा!
डेगे डेगे ठड़ा बाड़ें सन
ए माई!
लरिका रहनीं त
भुनेसरा के मतारी
हमरा के भगउती खानीं
पूजले रहे
उहे भुनेसरा आजु हमार
अँचरा घींच देहलस ह हो
ए माई!
कहवाँ लुकाईं हो
सबहतर त अँखिये
गड़इले बाड़ें सन
महतारी के गरभो में ले
ए माई!
जियल बड़ा मस्किल बा
बरिसन से रवनवा जारल जाला
जे सिया के भर हिक
देखबो ना कइले रहे
ए माई!
एकनीं के कहिया जरइबू हो
एमकी एगो लुआठी दे के जा
एकनीं के अंग भंग कइल
बड़हन कार बा
ए माई!
तोहरो लोग मुँहवे निहारेला
तोहार अंग अंग निहारेला
निहारेला तोहार देह दवासा
तोहरा हिरदया ले त केहू
चहुँपिये ना पावेला
ए माई!
ए पारी कुछु जय छय क के जा
ए धरती से उठइले चल
सगरी बिटियन के
छने छने केतना मरीं सन हो
आ ए माई सुन!
अपनो अँचरवा सम्हारिये के जइह
जे तोहरा के दस दिन
नाच गा के पूजता नू
ओकरा उघारतो देरी ना लागी
माई हो!
आइल बाड़ू त रहिये जा
हमनीं के तनीं सक्ति द
आ सिखाव केतरे महिसासुरवन के
मुँह निछोर के करिया करीं सन
ए माई!
तहार बड़ी असरा बा हो
- डॉ शिप्रा मिश्रा