तीन जोन्हीं तलई में
हो दने भँडारकोनी
फुट् दनी झुप् दनी
गिरल ह टूट के।
केने ले दो उषा बबी
अन्हियाँ बतास लेखा
सतही प लोक लेली
राखि लेली खूँट के।
अँचरा के कोर में से
गजबे उजास कढ़े,
चेहरा के लाली मेली,
सातो रंग कूट के।
आदित के आवन प
फुलवा के गुच्छा देते,
अनगिन गेना फूल
गिरल ह छूट के।
- दिनेश पाण्डेय।