अनघा भाव मन के उद्बबेगत बहुत कुछ कह जाला।
उहे सब जब लेखनी में समा के कागज पर उतरेला तब सबकुछ नया नया लागेला। बीतल समय से बहुत सुन्दर चित्र मिलेला जवना में वर्तमान परिप्रेक्ष्य खुद हीं अपना के फिट पावेला आ ई मेल मन के खूबे भावेला।सुख, दुख,दया, अहम ,क्रोध आदि भाव साक्षात आपन प्रभाव डालेगा। अपना गुण के अनुकूल ई रिश्ता में खटास आ चाहे मिठास ले आवेला बाकिर रचना के मरम हमेशा आनंद में परिवर्तित हो के मिलेला।
शिव सृष्टि के सिरजक हईं।उहाँ के मानुष आ प्रकृति के जीवन चक्र के बड़हन जिमदारी देके धरती पर भेजले बानी। एगो साक्षात आ एगो सहचर रुप लेके साथे साथे चलेले। एगो गूंग आ एगो वाचाल। एगो मद में चूर त एगो मादक गंध से भरपूर। एगो मौसम के आधार पर आपन रूप सजावेला त दूसरका आपन प्रभाव देखावेला ।एगो चलन्त आ एगो स्थिर।एगो दानी आ एगो ऋनी। एगो माया जाल में फंसल त एगो साधु नियन। बाकिर दुनो एक दूसरा के सहारा। दुनो धरती पर जीवन के रखवैया। मानुष प्रकृति से खिलवाड़ करिहें त प्रकृति भी उनकर साँस छीन लीहें । इ सब देख के आ बूझ के दुनो के साथ संसार टिकल बा। दुनो एक दूसरे के रखवाला बारन।अइसहीं पाठक आ लेखक के बीच संबंध होखेला।पाठक के बात लेखक अपना लेखनी से उकेरेले। पाठक यानि समाज आ परम्परा, इनका बिपरीत लिखेवाला के खिलाफ समस्त पाठक वर्ग हो जालें, एह से अनावश्यक लेखन से बचे के चाहीं।
कहीं-कहीं दुनो एक दूसरे के मीत होखेलन। दुनो के मन के बात कागज पर शब्दन के संसार से खिल उठेला इहे मेल काव्य में परमानंद प्राप्ति कहाला। भोजपुरी साहित्य सरिता भी परमानंद प्राप्ति के एगो कोना ह। हरबार लेखक के चिन्तन एगो नया रुप लेके,नया सोच के साथे पाठक लोगन के बीच रखल जाला। पाठक से मिलल प्रतिक्रिया पत्रिका आ लेखक दुनो के महत्व बढावेला। कहे के मतलब बा कि समाज के बीच ई पत्रिका खूब फले फूले आ सोपान चढ़े। रचना कवनो होखे, बालवर्ग, युवा पीढ़ी,आ पुरनिया लोगन खातिर सामाजिक राजनीतिक आ चाहे अउर कवनो विषय होखे किन्तु ओहमे मन आह्लादित करे के शक्ति होखे के चाहीं, विवाद से बच के साकारात्मक पहलवाली लेख समाज के विकास में सहायक होखेले।
सरसों मोजर महुआ आ पलाश आपन तरुणाई के साथ
प्रकृति के सजावे के काम शुरू कर देले बा।सभे गाछ बिरिछ के रंग सँवरे लागल बा।नवका पतई नवल रुप धारण कर लेले बा। मनई भी इहे तरुणाई में रहे आ सिरिजन के सुन्नर संसार सिरिजे इहे कामना बा।।
डॉ रजनी रंजन
सहायक संपादक