हर कुर्सी बेईमान भेटालन
अपने मन क बज ता बाजा
हे सेवक परधान देश क
अब त नींन से जागा राजा।
तहसील कचहरी थाना चउकी
मागैं रुपिया भर भर भऊकी
ना देहले पर काम ना होला
बेतन थोरिका अउर बढ़ा दा।
अब त नींन से जागा राजा।
पन सउआ क बात करैंन
देहला पर भी घात करैंन
लेखपाल जब मारैं मन्तर
पल में नम्बर होखै बंजर
जीयते माछी घोट घोट के
छूट रहल हव बचलो आशा।
अब त नींन से जागा राजा।
स्कूली क हीन दसा हव
का बतलाईं कठिन ब्यथा हव
आठ पास हो गयल मगरुआ
गदहा ग पर अभी फसा हव
मस्टर साहब आपन जनमल
भेज पढ़ावैं कान्वेंट में
इहाँ गदेरुआ इनसे पढ़ी के
मनरेगा में फेकै खांचा।
अब त नींद से जागा राजा।
बिजुरी बिल परसान करे ला
भरी ला तब्बो रोज बढ़े ला
किंचर काढ़ रहल हव मीटर
कवन कला बा एकरे भीतर
कहाँ दोहाई भेजीं बाबू
तड़पत हव जियरा बेकाबू
कहहीं भर बा आपन शासन
तनिको नाही बदलल दाशा।
अब त नींन से जागा राजा।
घुरुक के बोलैं पुलुस दरोगा
आँख तरेरैं मिलतै मोका
गारी दें आसीस समझ के
जेरिको मिलैं कहि जे नोका
छूट के पगरी भईल नगोछी
आन मान सब भयल तमासा।
अब त नींन से जागा राजा।
मार झपट्टा करैं दलाली
चपरासी मुंशी पेशकार
देख रहल हव पुरा जमाना
लोकतंत्र क अइसन हार
चमड़ी नोच रहल परसासन
नेता जी के बजकत भासन
कहवाँ जाईं कहाँ लुकाईं
लागल हव गरदन तक फाँसा।
अब त नींन से जागा राजा।
अस्पताल क खर्चा भारी
निजी हो चाहे सरकारी
ए गो रोग जाँच बहुतेरा
महंग दवाई थमा कटोरा
ले के आयुष्मान काड सब
दऊड़ रहल हव पिटा ढ़िढोरा
महंगू चच्चा खेत बेंच के
लाल उठउले अइलन कोरां
डक्टर साहब चलैं अइठ के
पाय कमीशन भर भर बोरा
लज्जाहीन भईल मानवता
शरम लजाले देख नजारा
कल तक जे भगवान कहायल
आज उहै हव मारत डाका।
अब त नींन से जागा राजा।
मुखिया जी के ठाठ निराला
पंचइती में होय घोटाला
चमचागीरी जेकर चटकल
उहै इज्जतदार कहाला
मिड डे मिल क रुखर थरिया
खाय के अमहर भयल पनरुआ
तेतरी के हो गयल रतऊनी
कहै ले माई मरै फुकऊनी
बेंच के दरूआ मय सरकारी
रोज मोटाले आंगनबाड़ी
कउने दम फिर बिस्वगुरु क
शोर मचल हव ताजा।
अब त नींन से जागा राजा।
पी डब्लू डी सड़क बनावै
गड़हा गुच्चा रोज मिटावै
अलकतरा में करिया मोबिल
डाल के अऊरी रंग चढ़ावै
ठेकेदार क नीमन कुरता
मजदूरी के भोग लगावै
खाली पेट सुतै ले धनिया
साट करेजे आपन मुनिया
माननीय जी बईठ सफारी
करैं गरीबी कै रखवारी
खद्दर चम चम चम चमात हव
मंत्री पद क अलग राज हव
सोन चिरइया बिलखत बाटे
लोर बहाई बरहो मासा।
अब त नींन से जागा राजा।
दुख दुखिया के कोई न बुझै
का बतलाईं कुछो न सूझै
सब कुछ बंटा धार हो गईल
सगरों फिर अंहियार हो गईल
गोरका भगल करियवा आयल
लूट मचावत नाही लजायल
आजादी से आस रहल पर
हाँथ भेटायल सिरफ निराशा।
अब त नींन से जागा राजा।
परन राम कुकुर के पाले
खींच खाँच के कईलस खाले
जेकर लाठी भईस ओहि क
बात आज भी सत्य बुझाले
केतना गदहा भयन धुरन्धर
बात करैं त लगैं कलन्दर
का बतलाईं कहल न जाला
कहला बिन भी रहल न जाला
उ खच्चर भी होनहार हो गयल
फड़ जेकरे बईठल “योगी” पासा।
अब त नींन से जागा राजा।।